लोगों की राय

बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-3 कम्पनी लॉ

बीकाम सेमेस्टर-3 कम्पनी लॉ

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2672
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीकाम सेमेस्टर-3 कम्पनी लॉ

प्रश्न- एक प्रवर्तक के कर्तव्य एवं दायित्व क्या होते हैं? उसको कैसे पारितोषित किया जाता है? समझाइये।

इस प्रश्न का उत्तर आगे दिये गये सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तरों को मिलाने से पूरा होता है।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न - प्रवर्तकों के कर्त्तव्यों एवं दायित्वों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्रवर्तक कौन हैं? प्रवर्तकों के दायित्व क्या हैं?

उत्तर -

प्रवर्तकों के कर्त्तव्य
(Duties of Promoters)

एक प्रवर्तक के निम्नलिखित कर्तव्य होते हैं -

(1) निजी लाभों को प्रकट करना (To Disclose the Private Interests) - कम्पनी के निर्माण के दौरान यदि प्रवर्तक को कोई निजी लाभ प्राप्त हुआ है तो ऐसी दशा में प्रवर्तक का कर्तव्य है कि वह उसे प्रकट करे।

(2) गुप्त लाभों को प्रकट करना (To Disclose the Secret Profits) - प्रत्येक प्रवर्तक का यह कर्त्तव्य है कि वह निर्माणाधीन कम्पनी से कोई गुप्त लाभ प्राप्त न करे। फिर भी यदि उसने कोई गुप्त लाभ प्राप्त कर लिया है तो उसे प्रकट कर देना चाहिए।

( 3 ) प्रवर्तन सम्बन्धी तथ्यों को प्रकट करना (To Disclose the Promotional Facts) - प्रवर्तकों का यह कर्त्तव्य है कि वह कम्पनी के प्रवर्तन से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को स्पष्ट रूप से प्रकट कर दे। उसे किसी भी तथ्य को छिपाना नहीं चाहिए।

(4) भावी अंशधारियों के प्रति कर्तव्य (Duties towards Prospective Shareholders) - प्रवर्तक का कर्त्तव्य केवल पार्षद सीमानियम पर हस्ताक्षर करने वालों के प्रति ही नहीं है बल्कि भावी अंशधारियों के प्रति भी प्रवर्तकों का कर्त्तव्य होता है। प्रवर्तक को अंशधारियों के साथ विश्वासाश्रित सम्बन्ध रखना आवश्यक है।

प्रवर्तकों के दायित्व
(Liabilities of Promoters)

प्रवर्तकों के दायित्वों का अध्ययन निम्नवत शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है.

(1) प्रवर्तन सम्बन्धी कार्यों के दायित्व (Liability in Relation to the Promotional Functions) - प्रवर्तक प्रवर्तन सम्बन्धी कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है। प्रवर्तन सम्बन्धी कार्यों में कम्पनी के निर्माण सम्बन्धी कार्य शामिल किये जाते हैं।

(2) गुप्त लाभ प्रकट करने तथा भुगतान करने का दायित्व (Liability to Disclose and Pay the Secret Profit) - गुप्त लाभ प्रकट करने एवं भुगतान करने का मुख्य दायित्व प्रवर्तक का है। यदि प्रवर्तक ने प्रवर्तन के समय कोई गुप्त लाभ प्राप्त किया है तो उसे प्रकट कर देना चाहिए तथा उसका भुगतान कम्पनी को कर देना चाहिए।

(3) विवरण दिये बिना सम्पत्ति खरीदने पर दायित्व (Liability for the Purchase of Assets without Giving Statement) - प्रवर्तकों द्वारा यदि पूर्ण विवरण दिये बगैर कोई सम्पत्ति क्रय की जाती है और उससे कम्पनी को हानि होती है तो ऐसी हानि के लिए प्रवर्तक उत्तरदायी होंगे। कम्पनी इन हानियों के लिए प्रवर्तकों पर मुकदमा चला सकती है।

(4) अनुबन्धपूर्ण होने तक दायित्व (Liability till the Completion of Contract) - प्रवर्तकों द्वारा जो अनुबन्ध कम्पनी की तरफ से किये जाते हैं जब तक वे अनुबन्ध पूर्ण नहीं हो जाते हैं तब तक प्रवर्तक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।

(5) प्रविवरण में मिथ्याकथनं के लिए दायित्व (Liability for the Misresentation in the Prospectus ) - जो प्रवर्तक प्रविवरण के निर्गमन में भाग लेते हैं और प्रविवरण में कोई मिथ्यावचन देते हैं जिसके कारण कम्पनी को किसी प्रकार की हानि होती है तो प्रवर्तक उसके लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होते हैं।

(6) प्रविवरण में वैधानिक त्रुटियों के लिए दायित्व (Liability for Legel Mistakes in Prospectus) - प्रवर्तकों द्वारा जारी किये प्रविवरण में यदि वैधानिक त्रुटियाँ हैं जिसकी वजह से अंशधारियों को हानि उठानी पड़ी है तो इस हानि के लिए प्रवर्तक उत्तरदायी होते हैं।

(7) प्रविवरण में कपट के लिए दायित्व (Liability for the Fraud in the Prospectus ) - वे प्रवर्तक जिन्होंने कम्पनी के प्रविवरण के निर्गमन में भाग लिया है ऐसे प्रवर्तक उन सभी प्रकार के कपटों के लिए अंशधारियों के प्रति उत्तरदायी होते हैं जिनका वर्णन प्रविवरण में किया गया है।

प्रविवरण के गलत कथन होने पर अंशों या ऋणपत्रों का आवंटन निरस्त किया जा सकता है तथा प्रवर्तकों पर क्षतिपूर्ति का दावा किया जा सकता है। प्रवर्तकों पर दण्डनीय दायित्व की कार्यवाही की जा सकती है।

यदि प्रवर्तक प्रविवरण में झूठा या धोखापूर्ण कथन करता है तो धारा 34 के अधीन उसे दायी ठहराया जा सकता है।

(8) मृत होने पर उसकी सम्पत्ति से वसूली (Recovery from his Assets after Death) - यदि किसी प्रवर्तक की मृत्यु हो जाती है तो उसके द्वारा दी जाने वाली राशि कम्पनी उसकी सम्पत्ति से वसूल कर सकती है।

(9) दिवालिया होने पर दायित्व (Responsibility on becoming Insolvent) - यदि कोई प्रवर्तक दिवालिया हो जाता है तो उसको दी जाने वाली राशि कम्पनी उसकी सम्पत्ति से वसूल कर सकती है।

(10) कर्तव्य भंग के लिए दायित्व (Liability for the Breach Duty) - यदि प्रवर्तकों द्वारा कर्तव्य भंग किया जाता है जिसके कारण यदि कम्पनी को कोई हानि उठानी पड़ती है तो वह उस हानि की पूर्ति प्रवर्तकों से वसूल कर सकती है।

(11) समापन पर दायित्व (Liability on the Winding up) - यदि निस्तारक अपने प्रतिवेदन में कम्पनी के निर्माण में प्रवर्तकों के कपट का उल्लेख करता है तो प्रवर्तक उत्तरदायी ठहराया जायेगा।

(12) समापन पर दुरुपयोग का दायित्व (Liability to Misuse on Winding up) - कम्पनी के समापन के समय यदि यह ज्ञात होता है कि प्रवर्तकों ने कम्पनी की किसी सम्पत्ति का दुरुपयोग किया था ऐसी स्थिति में उसे सम्बन्धित वस्तुओं को लौटाना होगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कम्पनी की परिभाषा दीजिए। कम्पनी की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- एक कम्पनी में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  3. प्रश्न- कम्पनी के लाभ बताइए।
  4. प्रश्न- कम्पनी की सीमाएँ बताइये।
  5. प्रश्न- कम्पनी अधिनियम, 2013 का प्रशासन किन-किन एजेन्सीज द्वारा चलाया जाता है? प्रत्येक की शक्तियों एवं कर्त्तव्यों का विस्तार से विवरण दीजिए।
  6. प्रश्न- "एक कम्पनी का अस्तित्व पृथक होता है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं निर्णीत विवाद की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए।
  7. प्रश्न- एक कम्पनी का अपने सदस्यों से पृथक वैधानिक अस्तित्व है। न्यायालय किन परिस्थितियों में इस सिद्धान्त की उपेक्षा करते हैं?
  8. प्रश्न- कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं?
  9. प्रश्न- निजी कम्पनी क्या है? कम्पनी विधान के अन्तर्गत एक निजी कम्पनी को प्राप्त विशेषाधिकार और छूटों की व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- निजी कम्पनी को प्राप्त छूटों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- एक निजी कम्पनी को सार्वजनिक कम्पनी में बदलने की कार्यविधि को संक्षेप में बताइये। एक निजी कम्पनी सार्वजनिक कम्पनी से किस प्रकार भिन्न है?
  12. प्रश्न- निजी कम्पनी तथा सार्वजनिक कम्पनी में अन्तर बताइए।
  13. प्रश्न- सरकारी कम्पनी क्या होती है? इसके विशेष लक्षण बताइए। कम्पनी अधिनियम, 2013 कहाँ तक इसे शासित करता है?
  14. प्रश्न- कम्पनी अधिनियम, 2013 कहाँ तक सरकारी कम्पनी को शासित करता है?
  15. प्रश्न- कम्पनी के निगमन की विधि के अनुसार कम्पनियाँ कितने प्रकार की होती हैं? उनका संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  16. प्रश्न- लोक कम्पनी से आपका क्या आशय है?
  17. प्रश्न- सार्वजनिक कम्पनी की विशेषताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- एक सार्वजनिक कम्पनी के निजी कम्पनी में परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- निष्क्रिय कम्पनी पर टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- (i) विदेशी कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (ii) एक व्यक्ति वाली कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- (i) चार्टर्ड कम्पनी से आप क्या समझते हैं? (ii) सूत्रधारी कम्पनी से आप क्या समझते हैं?
  22. प्रश्न- अवैध संघों के क्या प्रभाव होते हैं?
  23. प्रश्न- 'एक व्यक्ति वाली कम्पनी' के बारे में क्या प्रावधान हैं?
  24. प्रश्न- लघु कम्पनी को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्पादक कम्पनी क्या होती है? ऐसी कम्पनी के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम के प्रावधान समझाइये।
  26. प्रश्न- उत्पादक कम्पनी के लक्षण बताइये।
  27. प्रश्न- कम्पनी प्रवर्तक कौन होता है? द्वारा प्रवर्तित कम्पनी तथा उसके कम्पनी प्रवर्तक के कार्यों का वर्णन कीजिए तथा उसके बीच संबंधों का उल्लेख कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रवर्तकों के कार्य बताइए।
  29. प्रश्न- "प्रवर्तक का कम्पनी के साथ सम्बन्ध" की व्याख्या कीजिए।
  30. प्रश्न- एक प्रवर्तक के कर्तव्य एवं दायित्व क्या होते हैं? उसको कैसे पारितोषित किया जाता है? समझाइये।
  31. प्रश्न- प्रवर्तकों को पारिश्रमिक किस तरह दिया जाता है?
  32. प्रश्न- कम्पनी अधिनियम, 2013 के अन्तर्गत एक कम्पनी का निर्माण कैसे होता है?
  33. प्रश्न- कम्पनी के पंजीकरण से आपका क्या आशय है? इसकी प्रक्रिया समझाइये।
  34. प्रश्न- कम्पनी के पंजीयन के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले प्रपत्रों के नाम बताइये।
  35. प्रश्न- समामेलन प्रमाणपत्र से आप क्या समझते हैं? इसका एक नमूना भी दीजिए।
  36. प्रश्न- पूँजी अभिदान की अवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- प्रवर्तकों के अधिकार बताइये।
  38. प्रश्न- समामेलन के पूर्व के अनुबन्ध क्या हैं?
  39. प्रश्न- समामेलन के लाभ बताइये।
  40. प्रश्न- क्या समामेलन प्रमाण-पत्र इस बात का निश्चायक प्रमाण है कि कम्पनी का समामेलन विधिवत हुआ है?
  41. प्रश्न- व्यापार का प्रारम्भ करने से आपका क्या आशय है?
  42. प्रश्न- प्रवर्तकों की स्थिति बताइये।
  43. प्रश्न- पार्षद सीमानियम की विषय-सामग्री का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- कम्पनी के स्थान वाक्य तथा उद्देश्य वाक्य को समझाइये।
  45. प्रश्न- (i) कम्पनी के दायित्व वाक्य को समझाइये। (ii) कम्पनी के पूँजी वाक्य को समझाइये।
  46. प्रश्न- पार्षद सीमानियम के वाक्यों में कैसे परिवर्तन किया जा सकता है?
  47. प्रश्न- कम्पनी के पंजीकृत कार्यालय वाक्य में परिवर्तन किस तरह किया जा सकता है?
  48. प्रश्न- पार्षद सीमानियम के उद्देश्य वाक्य में परिवर्तन की कार्यविधि बताइये।
  49. प्रश्न- पूँजी वाक्य में परिवर्तन करने की विधि बताइये तथा दायित्व वाक्य में परिवर्तन किस तरह किया जा सकता है?
  50. प्रश्न- पार्षद सीमानियम की महत्ता दर्शाइए। उसके अनिवार्य वाक्यों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। इसमें किस प्रकार का परिवर्तन किया जा सकता है?
  51. प्रश्न- पार्षद सीमानियम पर किये गये सातों व्यक्तियों के जाली हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति द्वारा करके समामेलन प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया गया था। क्या समामेलन का प्रमाणपत्र वैध है?
  52. प्रश्न- पार्षद सीमानियम में परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- अधिकारों से बाहर का सिद्धांत क्या है?
  54. प्रश्न- शक्ति बाह्य व्यवहारों का प्रभाव बताइये।
  55. प्रश्न- पार्षद अन्तर्नियम की परिभाषा दीजिए। एक अन्तर्नियम में दी जाने वाली बातों को संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- पार्षद अन्तर्नियम की विषय-सामग्री को लिखिए।
  57. प्रश्न- एक कम्पनी द्वारा इसमें जोड़ने या परिवर्तन करने की शक्ति की सीमाओं की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- पार्षद अन्तर्नियमों के परिवर्तन पर लगाये गये वैधानिक प्रतिबन्धों को लिखिए।
  59. प्रश्न- पार्षद अन्तर्नियमों के परिवर्तन पर लगाये गये न्यायिक प्रतिबन्ध तथा अन्य प्रतिबन्ध कौन-कौन से हैं? अन्तर्नियमों को परिवर्तित करने पर अन्य कौन-कौन से प्रतिबन्ध लगाये गये हैं?
  60. प्रश्न- “सीमानियम और अन्तर्नियम सार्वजनिक प्रलेख हैं। इस कथन को समझाइए तथा आन्तरिक प्रबन्ध के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- आन्तरिक प्रबन्ध के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- पार्षद सीमानियम एवं पार्षद अन्तर्नियम में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- आन्तरिक प्रबन्ध के सिद्धान्त के क्या अपवाद है?
  64. प्रश्न- प्रविवरण से आप क्या समझते हैं? कब एक कम्पनी को प्रविवरण जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है? कम्पनी अधिनियम, 2013 के अधीन एक नयी कम्पनी द्वारा जारी किये गये प्रविवरण की अन्तर्निहित बातों को संक्षेप में समझाइये।
  65. प्रश्न- कम्पनी अधिनियम, 2013 के आधीन एक नयी कम्पनी द्वारा जारी किये गये प्रविवरण की अन्तर्निहित बातों को संक्षेप में समझाइये।
  66. प्रश्न- प्रविवरण में असत्य कथन और मिथ्यावर्णन के द्वारा उत्पन्न होने वाले सिविल दण्डनीय दायित्वों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- प्रविवरण में मिथ्यावर्णन से क्या अभिप्राय है?
  68. प्रश्न- प्रविवरण में दिये गये असत्य कथन के सम्बन्ध में अंशधारी को कम्पनी के विरुद्ध कौन-कौन से अधिकार प्राप्त होते हैं? कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 35 व 36 के अन्तर्गत वर्णित अधिकार कौन-कौन से हैं?
  69. प्रश्न- प्रविवरण में मिथ्यावर्णन हेतु दायित्व बताइये।
  70. प्रश्न- कम्पनी के प्रविवरण में हुई त्रुटि से कोई भी व्यक्ति कब मुक्त माना जाता है?
  71. प्रश्न- संचालकों को उनके आपराधिक दायित्व से कब मुक्त किया जा सकता है?
  72. प्रश्न- 'सुनहरा नियम' क्या है?
  73. प्रश्न- एक निजी कम्पनी प्रविवरण जारी क्यों नहीं कर सकती है?
  74. प्रश्न- एक कम्पनी की ओर से प्रविवरण कौन जारी कर सकता है?
  75. प्रश्न- गर्भित विवरण क्या होता है?
  76. प्रश्न- प्रविवरण के निर्गमन के सम्बन्ध में कानूनी नियमों को बताइए।
  77. प्रश्न- शेल्फ प्रविवरण को समझाइये।
  78. प्रश्न- मायावी प्रविवरण क्या है?
  79. प्रश्न- अंश की परिभाषा व विशेषताएँ दीजिए। कम्पनी द्वारा निर्मित विभिन्न प्रकार के अंशों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
  80. प्रश्न- समता अंशों तथा पूर्वाधिकार अंशों से आप क्या समझते हैं?
  81. प्रश्न- समता एवं पूर्वाधिकार अंश में अन्तर बताइए।
  82. प्रश्न- पूर्वाधिकार अंशों के प्रकारों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- स्टॉक से आप क्या समझते हैं? अंशों को स्टॉक में क्यों और कैसे परिवर्तित किया जाता है? इन दोनों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- अंश तथा स्टॉक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- विभिन्न प्रकार की अंशपूँजी को समझाइये। अंशपूँजी में कमी करने की परिस्थितियों एवं विधियों की व्याख्या कीजिए।
  86. प्रश्न- अंशपूंजी में कमी करने की दशाओं एवं विधि का वर्णन करें।
  87. प्रश्न- अंश हस्तान्तरण क्या है? अंश हस्तान्तरण की विधि स्पष्ट कीजिए। अंशों के हस्तान्तरण तथा हस्तांकन में क्या अन्तर है?
  88. प्रश्न- अंशों के हस्तान्तरण की विधि स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- अंशों के अभिहस्तांकन को समझाइये। अंश हस्तांतरण तथा अभिहस्तांकन में अन्तर बताइए।
  90. प्रश्न- अंशों के हस्तांकन का क्या अभिप्राय है? अंशों के हस्तांकन से सम्बन्धित वैधानिक प्रावधान क्या है?
  91. प्रश्न- अंशों के हस्तांकन से सम्बन्धित वैधानिक प्रावधान क्या हैं?
  92. प्रश्न- अंशों के हस्तान्तरण और हस्तांकन में भेद बताइये। अंशों के हस्तांकन की कार्यविधि समझाये।
  93. प्रश्न- अंशों के हस्तांकन की क्या प्रक्रिया है?
  94. प्रश्न- अंशपूँजी में परिवर्तन का क्या अर्थ है? एक कम्पनी की अंशपूँजी में परिवर्तन के कौन-कौन से तरीके हैं? अंशपूँजी में परिवर्तन की वैधानिक व्यवस्थाएँ क्या हैं?
  95. प्रश्न- कम्पनी की अंशपूँजी में परिवर्तन के कौन-कौन से तरीके हैं?
  96. प्रश्न- अंशपूँजी में परिवर्तन के सम्बन्ध में वैधानिक प्रावधान क्या हैं?
  97. प्रश्न- एक अंशों द्वारा सीमित सार्वजनिक कम्पनी के अंशों की आवंटन विधि क्या है? अनियमित आवंटन का क्या प्रभाव होता है?
  98. प्रश्न- अनियमित आवंटन का प्रभाव बताइये।
  99. प्रश्न- अंशो के हस्तान्तरण की विधि बताइये। क्या एक सार्वजनिक कम्पनी के निदेशक हस्तान्तरण का पंजीकरण करने से मना कर सकता हैं? एक पीड़ित अंशधारी को क्या उपचार प्राप्त होते हैं।
  100. प्रश्न- क्या एक सार्वजनिक कम्पनी के निदेशक अंशो के हस्तान्तरण का पंजीकरण करने से मना कर सकते हैं?
  101. प्रश्न- निदेशकों द्वारा अंशों के हस्तान्तरण से मना करने पर पीड़ित अंशधारी को प्राप्त उपचार बताइये।
  102. प्रश्न- अंशपूँजी की प्रकृति एवं प्रारूप समझाइए।
  103. प्रश्न- एक सदस्य तथा अंशधारी में क्या अन्तर है?
  104. प्रश्न- अंशों का समर्पण कब वैधानिक होता है?
  105. प्रश्न- अंश हस्तान्तरण के क्या प्रभाव होते हैं?
  106. प्रश्न- अंशों पर ग्रहणाधिकार पर एक टिप्पणी लिखिए।
  107. प्रश्न- अंश प्रमाण-पत्र को परिभाषित कीजिए।
  108. प्रश्न- अंश अधिपत्र को समझाइए।
  109. प्रश्न- अंशों के हरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रभाव लिखिए।
  110. प्रश्न- पूर्वाधिकार अंशों से सम्बन्धित अधिकार क्या हैं?
  111. प्रश्न- बोनस अंशों पर टिप्पणी लिखिए।
  112. प्रश्न- अंश प्रमाणपत्र सम्बन्धी वैधानिक प्रावधान लिखिए।
  113. प्रश्न- जाली हस्तान्तरण से आप क्या समझते हैं?
  114. प्रश्न- अनियमित आवंटन क्या है?
  115. प्रश्न- कम्पनी के अंशों का आवंटन कौन कर सकता है? अंशों के आवण्टन से आप क्या समझते हैं?
  116. प्रश्न- अंशों के समर्पण से आप क्या समझते है?
  117. प्रश्न- अंशों के आवंटन के सम्बन्ध में वैधानिक प्रतिबन्ध समझाइये।
  118. प्रश्न- कम्पनी द्वारा अपने ही अंशों या वित्तीय सहायता की खरीद पर क्या प्रतिबन्ध है?
  119. प्रश्न- शोधनीय पूर्वाधिकार अंशों से आप क्या समझते हैं?
  120. प्रश्न- अंश से आप क्या समझते हैं? अंश और स्टॉक में क्या अन्तर है?
  121. प्रश्न- कम्पनी में सदस्यता किस प्रकार की जाती है? किन परिस्थितियों में ऐसी सदस्यता समाप्त हो जाती है?
  122. प्रश्न- कम्पनी का सदस्य बनने के नियमों की व्याख्या कीजिए।
  123. प्रश्न- कम्पनी की सदस्यता की समाप्ति किस तरीके से होती है?
  124. प्रश्न- क्या एक अवयस्क कम्पनी का अंशधारी हो सकता है? यदि हाँ तो कैसे?
  125. प्रश्न- एक कम्पनी का सदस्य कौन हो सकता है?
  126. प्रश्न- कम्पनी के सदस्यों के अधिकार एवं दायित्व बताइये।
  127. प्रश्न- एक सदस्य तथा अंशधारी में क्या अन्तर है? एक कम्पनी के सदस्य की सदस्यता कब समाप्त की जा सकती है?
  128. प्रश्न- एक कम्पनी के ऋण लेने के अधिकार की व्याख्या कीजिए। कम्पनी द्वारा ऋण लेने के अधिकारों पर क्या प्रतिबन्ध हैं?
  129. प्रश्न- कम्पनी के ऋण लेने के अधिकारों की क्या सीमाएँ हैं?
  130. प्रश्न- अधिकार से बाहर ऋण लेने के क्या प्रभाव है?
  131. प्रश्न- कम्पनी अधिनियम के अधीन प्रभारों की रजिस्ट्री तथा उनकी संतुष्टि के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं?
  132. प्रश्न- उधार की विधियाँ कौन-कौन सी हैं? प्रभार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइए।
  133. प्रश्न- बन्धक क्या है? बन्धक तथा प्रभार में अन्तर कीजिए।
  134. प्रश्न- प्रभार के सम्बन्ध में क्या नियम हैं? स्थायी प्रभार तथा चल प्रभार में अन्तर कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रभार के पंजीयन के सम्बन्ध में कम्पनी के क्या कर्तव्य हैं? वर्णन कीजिए।
  136. प्रश्न- ऋणपत्रों से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? इनके निर्गमन से सम्बन्धित प्रावधानों की व्याख्या कीजिए।
  137. प्रश्न- ऋणपत्रों के प्रकार समझाइये।
  138. प्रश्न- अंशधारी तथा ऋणपत्रधारी में अन्तर बताइये।
  139. प्रश्न- अंश और ऋणपत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  140. प्रश्न- ऋणपत्र व ऋणपत्र स्टॉक में क्या अन्तर है?
  141. प्रश्न- कम्पनियों द्वारा ऋणपत्रों की राशि भुगतान न करने पर ऋणपत्रधारियों को क्या उपचार प्राप्त होते हैं?
  142. प्रश्न- ऋणपत्रों के निर्गमन से सम्बन्धित विशेष प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  143. प्रश्न- ऋणपत्रों के निर्गमन की विधि बताइये।
  144. प्रश्न- संचालक से आप क्या समझते हैं? एक कम्पनी के संचालक के विभिन्न दायित्वों को समझाइये।
  145. प्रश्न- बाह्य पक्षकारों के प्रति संचालकों के दायित्व का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- संचालकों के दण्डनीय दायित्वों को समझाइये।
  147. प्रश्न- संचालकों के अधिकारों को संक्षेप में बताइये। कम्पनी अधिनियम, 2013 में संचालकों के अधिकारों पर कौन-कौन से प्रतिबन्ध लगाये गये हैं?
  148. प्रश्न- संचालकों को कौन-कौन से विशेषाधिकार प्रदान किये गये हैं?
  149. प्रश्न- संचालक मण्डल की उन शक्तियों को बताइये जिन्हें संचालकों की सभा में प्रयोग में लाया जा सकता है।
  150. प्रश्न- संचालकों के अधिकारों का राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में अंशदान के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- संचालकों की शक्तियों पर प्रतिबन्ध बताइये।
  152. प्रश्न- “कम्पनी के संचालक केवल एजेन्ट नहीं हैं, वरन् वे कुछ दृष्टि से तथा कुछ सीमा तक विश्वाश्रित व्यक्ति हैं या उनकी स्थिति में हैं। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  153. प्रश्न- संचालकों को प्रन्यासी तथा प्रबन्धकीय भागीदार के रूप में समझाइए।
  154. प्रश्न- एक अधिकारी तथा कर्मचारी के रूप में संचालक की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
  155. प्रश्न- कम्पनी के एक अंग के रूप में संचालकों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
  156. प्रश्न- कम्पनी के संचालकों के अधिकार, कर्त्तव्यों तथा दायित्वों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- प्रबन्धक तथा संचालक में क्या अन्तर है? कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत प्रबन्ध संचालक की नियुक्ति, पारिश्रमिक तथा निष्कासन सम्बन्धी क्या प्रावधान है? संक्षेप में बताइये।
  158. प्रश्न- संचालक किस प्रकार नियुक्त किये जाते हैं? कम्पनी अधिनियम, 2013 में संचालकों के पारिश्रमिक, पद-त्याग तथा पदच्युति के सम्बन्ध में क्या प्रावधान हैं?
  159. प्रश्न- संचालकों के पारिश्रमिक के बारे में क्या प्रावधान हैं?
  160. प्रश्न- संचालकों के पद त्याग के बारे में बताइये।
  161. प्रश्न- संचालकों की पदच्युति के बारे में बताइये।
  162. प्रश्न- प्रबन्ध संचालक से क्या आशय है? इसके सम्बन्ध में सामान्य बातें बताइये।
  163. प्रश्न- प्रबन्ध संचालक तथा पूर्ण-कालिक संचालक की नियुक्ति के सम्बन्ध में क्या प्रावधान है?
  164. प्रश्न- संचालकों की अयोग्यताएँ क्या हैं?
  165. प्रश्न- उन चार आधारों को बताइये जब संचालक का पद रिक्त हो जाता है।
  166. प्रश्न- प्रबन्ध संचालक के पारिश्रमिक के सम्बन्ध में क्या नियम हैं?
  167. प्रश्न- प्रबन्धक तथा प्रबन्ध संचालक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- “एक संचालक कम्पनी के साथ अनुबन्ध नहीं कर सकता है।" इस कथन का परीक्षण करें।
  169. प्रश्न- एक व्यक्ति कितनी कम्पनियों का प्रबन्ध निदेशक नियुक्त किया जा सकता है?
  170. प्रश्न- कम्पनी के अंशधारियों की कौन-कौन सी सभाएं होती हैं? इन सभाओं में किस प्रकार के निर्णय लिये जाते हैं?
  171. प्रश्न- सदस्यों की वार्षिक साधारण सभा क्या है? इस सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 96 में किये गये प्रावधानों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  172. प्रश्न- असाधारण सामान्य सभा से आप क्या समझते हैं? यह क्यों बुलायी जाती है? इस सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 100 में क्या प्रावधान किये गये हैं?
  173. प्रश्न- वर्ग सभाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- विभिन्न सभाओं के सम्बन्ध में कम्पनी सचिव के कर्तव्य बताइए।
  175. प्रश्न- ऋणपत्रधारियों की सभाओं से आप क्या समझते हैं? ऋणदाताओं की सभाएँ संक्षेप में बताइये।
  176. प्रश्न- संचालकों की सभाएं संक्षेप में बताइये।
  177. प्रश्न- अंशधारियों की सभा में पारित हो सकने वाले विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों को समझाइये। प्रस्तावों के पंजीकरण के लिए कम्पनी अधिनियम के प्रावधान बताइये। कम्पनी के पंजीकृत कार्यालय को राजस्थान से उत्तर प्रदेश में स्थानान्तरित करने हेतु विशेष प्रस्ताव का रूप दीजिए।
  178. प्रश्न- संकल्प से आप क्या समझते हैं? इसके कौन-कौन से प्रकार हैं?
  179. प्रश्न- साधारण संकल्प क्या है? यह कब आवश्यक होता है?
  180. प्रश्न- विशेष प्रस्ताव कब आवश्यक होता है?
  181. प्रश्न- विशेष सूचना वाले प्रस्तावों को बताइये। कम्पनी के प्रस्तावों के पंजीयन के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम में क्या प्रावधान हैं?
  182. प्रश्न- “प्रत्येक सभा को वैध होने के लिए उसे विधिवत् बुलाया जाये, विधिवत् चलाया तथा बनाया जाय।' व्याख्या करें।
  183. प्रश्न- वैधानिक सभा क्या हैं? वैधानिक सभा के सम्बन्ध में कम्पनी अधिनियम के प्रावधानों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  184. प्रश्न- प्रतिपुरुष से आप क्या समझते हैं? प्रतिपुरुष से सम्बन्धित वैधानिक प्रावधान क्या है?
  185. प्रश्न- गणपूर्ति से आप क्या समझते हैं? क्या सभा के पूरे समय में गणपूर्ति रहनी चाहिए? उस स्थिति में प्रक्रिया क्या होगी यदि गणपूर्ति कमी भी पूर्ण न हो?
  186. प्रश्न- प्रस्ताव एवं सुझाव में अन्तर कीजिए।
  187. प्रश्न- कम्पनी की सभा कौन बुला सकता है?
  188. प्रश्न- साधारण प्रस्ताव व विशेष प्रस्ताव में अन्तर कीजिए।
  189. प्रश्न- सभा के सूक्ष्म से क्या अभिप्राय है? इसकी विषय-सामग्री बताइये।
  190. प्रश्न- कार्यावली या कार्यसूची से आप क्या समझते हैं?
  191. प्रश्न- राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण कम्पनी की असाधारण सभा कब बुला सकता है?
  192. प्रश्न- कार्य सूची एवं कार्य विवरण में अन्तर बताइये।
  193. प्रश्न- मतदान से आप क्या समझते हैं? मतदान की विधियाँ बताइये।
  194. प्रश्न- एक सदस्य के मताधिकार का क्या अर्थ है? कम्पनी विधान में इससे सम्बन्धित क्या प्रावधान है?
  195. प्रश्न- "अधिसंख्यक के पास इसका तरीका होता है लेकिन अल्पसंख्यक के पास इसका कथन।" इस कथन का परीक्षण कीजिए।
  196. प्रश्न- अल्पमत वाले अंशधारियों के अधिकारों को कैसे संरक्षित किया जाता है?
  197. प्रश्न- अंशधारियों की संख्या के बहुमत को समझाइये। क्या इस नियम के कोई अपवाद हैं?
  198. प्रश्न- कम्पनी में अन्याय व कुप्रबन्ध को रोकने के लिए कम्पनी अधिनियम, 2013 में दिये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  199. प्रश्न- अन्याय तथा कुप्रबन्ध को रोकने के लिए कम्पनी अधिनियम, 2018 के प्रावधानों का वर्णन करें।
  200. प्रश्न- अन्याय की दशा में राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण द्वारा दिये जाने वाले उपचार बताइये।
  201. प्रश्न- कम्पनियों में अन्याय एवं कुप्रबन्ध रोकने के लिए अधिकरण के अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  202. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार कम्पनियों में अन्याय तथा कुप्रबन्ध को रोकने के लिए किन शक्तियों का प्रयोग कर सकती है?
  203. प्रश्न- अन्याय क्या है
  204. प्रश्न- किन दशाओं में कम्पनी में कुप्रबन्ध माना जाता है?
  205. प्रश्न- कम्पनी के समापन से आप क्या समझते हैं? समापन की विभिन्न रीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  206. प्रश्न- दिवाला एवं बेंक्रप्टसी संहिता, 2016 की धारा 59 के अधीन कम्पनी का ऐच्छिक परिसमापन समझाइये।
  207. प्रश्न- ऐच्छिक परिसमापन की प्रक्रिया समझाइए।
  208. प्रश्न- दिवाला एवं बेंक्रप्टसी संहिता 2016 की धारा 7, 9 एवं 10 के अधीन कम्पनी का तब परिसमापन समझाइये जब यह ऋणों के भुगतान में त्रुटि करे।
  209. प्रश्न- राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण द्वारा एक कम्पनी का अनिवार्य समापन किन-किन परिस्थितियों में किया जाता हैं? इस प्रकार के समापन आदेश के प्रभाव को समझाइये।
  210. प्रश्न- कम्पनी के समापन के लिए न्यायाधिकरण के समक्ष पिटीशन कौन प्रस्तुत कर सकता है?
  211. प्रश्न- समापन का आरम्भ बताइये। सलाहकारी समिति क्या है?
  212. प्रश्न- याचिका को प्रस्तुत किए जाने पर राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण की शक्तियाँ बताइये।
  213. प्रश्न- कम्पनी के समापन आदेश के परिणाम बताइये।
  214. प्रश्न- ऐच्छिक समापन प्रक्रिया में राष्ट्रीय कम्पनी विधि न्यायाधिकरण की भूमिका बताइये तथा परिसमापक की भूमिकाएँ एवं उत्तरदायित्व लिखिए।
  215. प्रश्न- परिसमापन की दावारहित प्राप्तियों के बारे में व्यवस्था बताइये।
  216. प्रश्न- परिसमापक की शक्तियाँ बताइये।
  217. प्रश्न- कम्पनी के समापन तथा समाप्ति में अन्तर कीजिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book